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Bhoot ki kahani
स्वाइन फ्लू से बचने के आयुर्वेदिक उपाय
मैंने मन ही मन में अपने रब का शुक्रिया किया जिस से मेरी उस भटकती आत्मा से कोई नुकसान नहीं हुआ , शायद ये मेरे अच्छे परिणामो का फल था ।
शायद ऐसा आप भी सोंचते अगर आप मेरी जगह होते तो ।
अब मैं बहुत डर गया था , मेरे हाँथ-पैर फूल गए थे मुझे काटो तो खून नहीं।
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जैसा अघोरी ने बताया औरत ने वैसे ही किया अघोरी ने पूजा पाठ संपन्न करने के बाद एक लोटा पानी । लाल सिंह के चारों तरफ घुमा कर पी लिया और चले गए। लाल सिंह दिन प्रतिदिन सही होने लगे .
भोपाल मध्य प्रदेश का एक खूबसूरत राजधानी शहर है। यह शहर अपनी ऐतिहासिक विरासतों के लिए पूरी दूनिया में जाना जाता है। अतीत से जुड़े […]
कि यह मेरी चाची की आत्मा जो मुझे लेने आई थी। क्योंकि मरने से पहले मेरी चाची ने कहा था। कि मैं तुम्हारी बड़ी बेटी को छोडूंगी नहीं .
सड़क एकदम खाली था और चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था दूर दूर तक एक भी आदमी नज़र नहीं आ रहा था , सड़क के किनारे घाना जंगल और पहाड़ भी थे जो अपने आप मैं भी एक डर जैसा माहौल बना रहे थे लेकिन मुझे इन से क्या फर्क पड़ता मैं तो बस मस्ती मैं अपनी बाइक चला रहा था ।
और उसमें से एक फोटो निकली थी। जो कि उसी लड़की की थी। मैं चौक गया की उसे मेरा पता कैसे चला।
जीवन और मृत्यु, पृथ्वी पर मानव जीवन का अटल सत्य है । जो जीव जन्म लेता है वह एक ना एक दिन मृत्यु को प्राप्त होता ही है। एक मानवी अपने जन्म से मरण तक के सफर में हंसता है, रोता है, इच्छा करता है, सफलता प्राप्त करता है, असफल भी होता है, निराश होता है, भावुक होता है, क्रोधित होता है, रुष्ट होता है, कामना करता है, और त्याग भी करता है, ऐसा कहा जाता है कि अपने जीवन काल में अधूरी रह जाने वाली कामनाओ की पूर्ति करने के लिए जीव-आत्मा मृत्यु के बाद भी भटकती रहती है।
वह एक रात ड्यूटी कर ही रहा था कि तभी उसने देखा कि घड़ी में दो बज गए थे। सारा प्लैटफॉर्म खाली था। तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। गार्ड ने देखा कि वहां कोई नहीं था। वह प्लैटफॉर्म के चक्कर काटने लगा कि तभी उसे परछाई दूर जाती हुई दिखाई दी। वह परछाई एक शरीर में बदल गई और उस गार्ड के पास जाकर खड़ी हो गई। गार्ड ने पीछे मुड़कर देखा और उसके सामने रमेश खड़ा था।